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न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion)

  न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion):-  हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए बल लगाना पड़ता है उदाहरण के लिए साइकिल चलाने वाले व्यक्ति को साइकिल के पैडल पर बल लगाना पड़ता है नाव में पानी को पीछे धकेल कर बल लगाया जाता है यदि हम पैडल चलाना बंद कर दे तो साइकिल रुक जाती है नाव में पतवार चलाना बंद कर दे तो नाव रुक जाती है। न्यूटन के गति का प्रथम नियम(Newton's First Law of Motion) यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी और यदि गति अवस्था में है तो वह उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए। न्यूटन का प्रथम नियम जड़त्व की परिभाषा बताता है कोई भी वस्तु उसकी अवस्था को स्वयं नहीं बदल सकती है बल वह बाह्य कारक है जो वस्तु की स्थिर अवस्था तथा गति अवस्था को बदलने के लिए उत्तरदायी है  बल के प्रभाव 1.स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न करना। 2.गतिमान वस्तु को रोक देना। 3.वस्तु का आकार तथा आकृति बदल देना। बल एक भौतिक राशि है जिसका मापन किया जा सकता है इसका एस आई मात्रक न्यूटन है एक सदिश रा...

अर्धचालक क्या है? अर्धचालकों में धारा का प्रवाह कैसे होता है?

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अर्धचालक (Semiconductor) : ऐसे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह चालक  से कम तथा कुचालक से ज्यादा होता है अर्धचालक कहलाते हैं। electron status in semiconductor इनमें वैलेंस बैंड तथा कंडक्शन बैंड के बीच की दूरी इंसुलेटर से कम तथा कंडक्टर से ज्यादा होती है अर्थात वैलेंस बैंड तथा कंडक्शन बैंड के बीच की दूरी 0.67 eV होती है। जब वैलेंस बैंड में उपस्थित फ्री इलेक्ट्रॉन को अतिरिक्त ऊर्जा दी जाती है तो इलेक्ट्रॉन वैलेंस बैंड से कंडक्शन बैंड तक पहुंचने में कुछ समय लगता है तथा धारा प्रवाहित होने लगती है। उदाहरण सिलिकॉन तथा जर्मी नियम। उपयोग: दैनिक जीवन में इसका उदाहरण ट्यूबलाइट है जिसे किसी सर्किट में लगाकर धारा प्रवाहित की जाती है तो कुछ समय (2-3 सेकंड) पश्चात वह जलती है।  

चालक (conductor) क्या होते हैं? चालकों में धारा का प्रवाह।

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चालक (conductor) : `चालक ऐसे पदार्थ होते हैं जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह आसानी से होता है चालक कहलाता है।' electrons status in conductor चालक में वैलेंस बैंड तथा कंडक्शन बैंड के बीच की दूरी बहुत कम या नहीं के बराबर होती है अर्थात् इनके बीच की दूरी (Eg<0ev) होती है, जिससे बैलेंस बैंड में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को एक्स्ट्रा एनर्जी देने पर इलेक्ट्रान आसानी से वॉलेंस बैंड से कंडक्शन बैंड में चले जाते हैं एवं धारा प्रवाहित होने लगती है।

कुचालक क्या होते हैं? कुचालकों में धारा का प्रवाह कैसे होता है?

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 कुचालक (Insulater) : ऐसे पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा प्रभावित नहीं होने देते कुचालक कहलाते हैं। वैलेंस बैंड में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों का कंडक्शन बैंड तक न पहुंचना जिससे पदार्थ में धारा प्रवाहित नहीं होती हैं। जब वैलेंस बैंड में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को अतिरिक्त ऊर्जा दी जाती है तथा वैलेंस बैंड व कंडक्शन बैंड की गेप (7eV) सेवन इलेक्ट्रॉन वोल्ट होने के कारण इलेक्ट्रॉन या तो अपने स्थान पर ही खत्म हो जाता है या अपना स्थान छोड़कर कहीं अलग चला जाता है।