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न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion)

  न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion):-  हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए बल लगाना पड़ता है उदाहरण के लिए साइकिल चलाने वाले व्यक्ति को साइकिल के पैडल पर बल लगाना पड़ता है नाव में पानी को पीछे धकेल कर बल लगाया जाता है यदि हम पैडल चलाना बंद कर दे तो साइकिल रुक जाती है नाव में पतवार चलाना बंद कर दे तो नाव रुक जाती है। न्यूटन के गति का प्रथम नियम(Newton's First Law of Motion) यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी और यदि गति अवस्था में है तो वह उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए। न्यूटन का प्रथम नियम जड़त्व की परिभाषा बताता है कोई भी वस्तु उसकी अवस्था को स्वयं नहीं बदल सकती है बल वह बाह्य कारक है जो वस्तु की स्थिर अवस्था तथा गति अवस्था को बदलने के लिए उत्तरदायी है  बल के प्रभाव 1.स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न करना। 2.गतिमान वस्तु को रोक देना। 3.वस्तु का आकार तथा आकृति बदल देना। बल एक भौतिक राशि है जिसका मापन किया जा सकता है इसका एस आई मात्रक न्यूटन है एक सदिश रा...

प्र.-व्याख्या कीजिए - 1. किशोर चरण 2. प्रजनक चरण 3. जीर्णता चरण

 प्र.-व्याख्या कीजिए -         1. किशोर चरण         2. प्रजनक चरण         3. जीर्णता चरण उ.-  1. किशोर चरण (Juvenile phase) :- यह जीवों के जीवन का सबसे पहला चरण होता है, जिसमें विकास और            विभिन्नताएं उत्पन्न होती है। इसमें जीव एवं सक्रिय नहीं होते हैं। 2. प्रजनक चरण (Reproductive phase) :-   यह चरण किशोर चरण के बाद आता है। इसमें जीव यौन सक्रिय         होते  हैं और संतति उत्पन्न करने योग्य होते हैं। पौधों में यह चरण आसानी से देखा जा सकता है परंतु जानवरों में       यह चरण देखना थोड़ा कठिन होता है।      पौधे इस चरण में पुष्प उत्पन्न करते हैं जबकि जानवर अंडे उत्पन्न करते हैं। 3. जीर्णता चरण (Senescent phase) :- यह चरण प्रजनक चरण के बाद आता है। यह चरण जीवन चक्र की              अंतिम अवस्था होती है। इस चरण में सभी अंग धीमे हो जाते हैं और यह प्रगतिशील गिरावट अंत में मृत्यु की ओर...

व्याख्या करके बताइए कि अर्धसूत्री विभाजन और युग्मक जनन सदैव अंतर संबंधित होते हैं।

 व्याख्या करके बताइए कि अर्धसूत्री विभाजन और युग्मक जनन सदैव अंतर संबंधित होते हैं। लैंगिक जनन करने वाले जीव धारियों में प्रजनन के समय अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) तथा युग्मक जनन ( Gametogenesis) की प्रक्रियाएं होती है। सामान्यतः लैंगिक जनन करने वाले जीव द्विगुणित होते हैं। युग्मक निर्माण की प्रक्रिया को युग्मक जनन ( Gametogenesis) कहते है। यह विभाजन गुणसूत्रों की जनन कोशाओं में होता है। नर में शुक्राणुओं के निर्माण व मादा में अंडाणुओं के निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है जबकि पौधों में परागकण व भ्रूण कोष के निर्माण के समय होता है।  विभाजित होने वाली कोशिकाओं की संख्या वी द्विगुणित (Diploid) 2n होती है। इस विभाजन के फलस्वरूफ संतति कोशिकाओं में गुणसूत्र की संख्या मातृ  कोशिकाओं से आधी रह जाती है अर्थात युग्मक अगुणित n होते हैं। युग्मकों के संयोजन से युगमनज बनता है जिससे गुणसूत्रों की संख्या फिर से द्विगुणित 2n हो जाती है। अतः इस प्रकार से अर्धसूत्री विभाजन और युगमकजननआपस में अन्तर संबंधित होते हैं।