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अभिक्रिया की दर
अभिक्रिया की दर से आप क्या समझते हो अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए?
अभिक्रिया दर - इकाई समय अंतराल में अभीकारकों की सांद्रता या उत्पाद की सांद्रता में होने वाला परिवर्तन अभिक्रिया की दर कहलाता है। अर्थात्
अभिक्रिया दर (R) = अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में परिवर्तन / इकाई समय अंतराल
इसकी इकाई मॉल लीटर इन्वर्स सेकंड इन्वर्स हैं।
अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है-
1. अभिकारकों की सांद्रता - अभिकारक की सांद्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है।
2. अभिक्रिया का ताप - किसी भी अभिक्रिया का ताप बढ़ाने से उस अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है क्योंकि अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है।
3. उत्प्रेरक की उपस्थिति - उत्प्रेरकों की उपस्थिति में अभिक्रिया की दर प्रभावित होती है धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ाते हैं जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को कम करते हैं।
4. अभीकारकों का क्षेत्रफल - अभिकारक के कणों का आकार जितना छोटा होता है अभिक्रिया उतनी ही तेजी से संपन्न होती है।
5. अभिक्रिया का दाब - अभिक्रिया का दाब बढ़ाने से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है क्योंकि दाब बढ़ाने से सांद्रता में वृद्धि होती है।
6. अभिकारकाें की प्रकृति - सामान्यतः सरल अणुओं की अपेक्षा जटिल अणुओं की अभिक्रिया दर में कमी आती है अर्थात अणु जितना सरल होगा अभिक्रिया उतनी ही तेजी से संपन्न होगी।
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