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न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion)

  न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion):-  हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए बल लगाना पड़ता है उदाहरण के लिए साइकिल चलाने वाले व्यक्ति को साइकिल के पैडल पर बल लगाना पड़ता है नाव में पानी को पीछे धकेल कर बल लगाया जाता है यदि हम पैडल चलाना बंद कर दे तो साइकिल रुक जाती है नाव में पतवार चलाना बंद कर दे तो नाव रुक जाती है। न्यूटन के गति का प्रथम नियम(Newton's First Law of Motion) यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी और यदि गति अवस्था में है तो वह उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए। न्यूटन का प्रथम नियम जड़त्व की परिभाषा बताता है कोई भी वस्तु उसकी अवस्था को स्वयं नहीं बदल सकती है बल वह बाह्य कारक है जो वस्तु की स्थिर अवस्था तथा गति अवस्था को बदलने के लिए उत्तरदायी है  बल के प्रभाव 1.स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न करना। 2.गतिमान वस्तु को रोक देना। 3.वस्तु का आकार तथा आकृति बदल देना। बल एक भौतिक राशि है जिसका मापन किया जा सकता है इसका एस आई मात्रक न्यूटन है एक सदिश रा...

एसिटिक अम्ल बनाने की शीघ्र सिरका विधि का वर्णन कीजिए।

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एसिटिक अम्ल बनाने की शीघ्र सिरका विधि का वर्णन कीजिए। एसिटिक अम्ल बनाने की शीघ्र सिरका विधि - यह एसिटिक अम्ल बनाने की महत्वपूर्ण विधि है इसे जर्मन विधि भी कहा जाता है इस विधि में सिरके के द्वारा माइकोडर्म एसिटिक जीवाणु की उपस्थिति में एसिटिक अम्ल बनाया जाता है। चित्र - एसिटिक अम्ल बनाने की शीघ्र सिरका विधि रासायनिक समीकरण - रासायनिक समीकरण  विधि का वर्णन - इस विधि में लकड़ी के बड़े-बड़े टैग बनाए जाते हैं प्रत्येक टैग में दो तकते लगे होते हैं एक ऊपर की ओर तथा दूसरा नीचे की ओर लगा होता है नीचे स्थित तकते में वायु प्रवाह के लिए बड़े-बड़े छिद्र होते हैं अब इसके प्रत्येक टैग में सिरके से भीगी हुई लकड़ी की छीलन भर देते हैं जिसमें माइकोडर्म एसिटिक जीवाणु रहते हैं अब ऊपर से टैग में अल्कोहल का विलियन डाला जाता है तथा नीचे से वायु प्रवाहित करते हैं जिसके फलस्वरूप एल्कोहल माइकोडर्म एसिटिक जीवाणु की उपस्थिति में वायु के संपर्क में आकर आक्सीकृत  हो जाता है और एसिटिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है।

ब्राउनी गति किसे कहते हैं?

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  ब्राउनी   ब्राउनी  ब्राउनी गति सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन ने सन 1827 में इसे देखा था इसलिए इसे ब्राउनी गति कहते हैं  कोलाइडी कणों की निरंतर और तीव्र अनियमित टेढ़ी-मेढ़ी गति को ब्राउनी गति कहते हैं। brawni gati   कारण -  इसका कारण कोलाइडी कणों का परिक्षेपण माध्यम में आसमान रूप से टकराना होता है।

एंजाइम क्या है इसके गुण लिखिए?

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एंजाइम एंजाइम क्या है इसके गुण लिखिए? एंजाइम - जीवित कोशिकाओं से बने नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक पदार्थ जो जैव रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं एंजाइम कहलाते हैं। इन्हें जैव उत्प्रेरक या कोशिका के रासायनिक घोड़े भी कहते हैं।  उदाहरण टाइलिन, इनवर्टेज, जाइमेज, माल्टोज, यूरिएज आदि। mp board education.                                                        एंजाइम के गुण -  1. एंजाइम क्रियाशीलता में अति विशिष्ट होते हैं। 2. यह प्रोटीन के बने होते हैं। 3. यह जैव उत्प्रेरक होते हैं। 4. यह पीएच (PH) संवेदनशील होते हैं। 5. यह ताप संवेदनशील होते हैं। एंजाइम को प्रभावित करने वाले कारक :- 1. सांद्रता - एंजाइम की सांद्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढती जाती है। 2. क्रियाकारक की सान्द्रता -  क्रियाकारक की सांद्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर भी बढती है। ,  3. ताप - एंजाइम क्रिया के लिए अनुकूलतम ताप 20 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्...

अभिक्रिया की दर से आप क्या समझते हो अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए?

अभिक्रिया की दर अभिक्रिया की दर से आप क्या समझते हो अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए? अभिक्रिया दर -   इकाई समय अंतराल में अभीकारकों की सांद्रता या उत्पाद की सांद्रता में होने वाला परिवर्तन अभिक्रिया की दर कहलाता है। अर्थात् अभिक्रिया दर (R) = अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में परिवर्तन / इकाई समय अंतराल  इसकी इकाई मॉल लीटर इन्वर्स सेकंड इन्वर्स हैं। अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है- 1. अभिकारकों की सांद्रता -   अभिकारक की सांद्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर में वृद्धि होती है।  2. अभिक्रिया का ताप -   किसी भी अभिक्रिया का ताप बढ़ाने से उस अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है क्योंकि अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। 3. उत्प्रेरक की उपस्थिति -   उत्प्रेरकों की उपस्थिति में अभिक्रिया की दर प्रभावित होती है धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ाते हैं जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को कम करते हैं। 4. अभीकारकों का क्षेत्रफल - अभिकारक के कणों का आकार जितना छोटा होता है अभिक्रिया उतनी ही तेजी से संपन्न होती है। 5...

विद्युत अपघटनी चालकता को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए?

विद्युत अपघटनी चालकता को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए? विद्युत अपघटनी चालकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है- 1. आयनों की सांद्रता- किसी विद्युत अपघट्य विलयन में आयनों की सांद्रता जितनी अधिक होती है उस विलयन की चालकता उतनी ही अधिक होती है। 2. आयनों की गतिशीलता- किसी विद्युत अपघट्य विलयन में आयनों की गतिशीलता जितनी अधिक होती है उस विलयन की चालकता उतनी ही अधिक होती है। 3. अंतर आयनिक आकर्षण - अंतर आयनिक आकर्षण के कारण किसी विद्युत अपघट्य विलयन की गतिशीलता कम हो जाती है फलस्वरूप इस की चालकता कम हो जाती है। 4.विलायक की श्यानता - किसी विद्युत अपघट्य विलयन में विलायक की श्यानता बढ़ाने से उस विलयन की चालकता कम हो जाती है। 5. ताप - किसी विद्युत अपघट्य विलयन में ताप वृद्धि करने से विलयन की चालकता बढ़ जाती है। विद्युत अपघटनीय चालकता- किसी विद्युत अपघटनीय विलयन के द्वारा विद्युत धारा को प्रवाहित करने का गुण उसकी विद्युत अपघटनीय चालकता कहलाती है। अर्थात प्रतिरोध के विलोम को विद्युत अपघटनीय चालकता कहते हैं। इसे C से व्यक्त करते हैं। इसकी इकाई ओम इनवर्स हैं। C = 1/R

बाह्य निषेचन की व्याख्या करो तथा इसकी हानियां बताइए?

बाह्य निषेचन की व्याख्या करो तथा इसकी हानियां बताइए? बाह्य निषेचन (external fertilization) :- जब युग्मको (शुक्राणु व अंड) का संयोजन जनक के शरीर के बाहर होता है तो इसे बाह्य निषेचन कहते हैं। इस निषेचन को पानी जैसे माध्यम की आवश्यकता होती है। निषेचन की यह प्रक्रिया जलीय जीव जैसे मछली स्तनधारी जीव और शेवालों में पाई जाती है। इस प्रक्रिया में जनक अंडे और शुक्राणु पानी में छोड़ देते हैं उसके बाद निषेचन की प्रक्रिया और संतान का विकास पानी में ही होता है। बाह्य निषेचन के नुकसान :-  1. यह निषेचन केवल पानी जैसे द्रव्य में ही संभव है। 2. जीव धारियों को अत्यधिक संख्या में युग्मको का निर्माण करना होता है जिससे निषेचन के         अवसर बढ़ जाए। 3. संतति अधिक संख्या में उत्पन्न होती है। 4. इस प्रक्रिया में जल का प्रभाव शांत होना चाहिए ताकि शुक्राणु और अंडाणु का मिलन आसानी     से हो सके।

बाह्य यह निषेचन की व्याख्या कीजिए एवं इसके नुकसान बताइए?

बाह्य यह निषेचन की व्याख्या कीजिए एवं इसके नुकसान बताइए? बाह्य निषेचन (External fertilization) -  जब युग्मकों ( शुक्राणु व अंड) का संयोजन जनक के शरीर के बाहर होता है तो उसे बाह्य निषेचन कहते हैं। इस निषेचन को पानी जैसे माध्यम की आवश्यकता होती है निषेचन की यह प्रक्रिया जलीय जीव जैसे मछली, स्तनधारी जीव और शेवालों में पाई जाती है। इस प्रक्रिया में जनक अंडे और शुक्राणु पानी में छोड़ देते हैं उसके बाद निषेचन की प्रक्रिया और संतान का विकास पानी में ही होता है  बाह्य निषेचन के नुकसान - (i) यह निषेचन केवल पानी जैसे द्रव्य में ही संभव है। (ii) जीव धारियों को अत्यधिक संख्या में युगमकों का निर्माण करना होता है। जिससे निषेचन के अवसर बढ़ जाए। (iii) संतति अत्यधिक संख्या में उत्पन्न होती है। (iv) इस प्रक्रिया के जल का प्रभाव शांत होना चाहिए ताकि शुक्राणु और अंडाणु का मिलन आसानी से हो सके। लैंगिक जनन की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं रोमांचक घटना संभवत: युग्मक का युग्मन है।यह प्रक्रिया युग्मक संलयन (साइनगैमी) कहलाती है जिसके परिणामस्वरूप द्विगुणित युग्मन (जाइगोट) का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया क...

साइक्लोट्रॉन क्या है यह किस तथ्य पर आधारित है?

 3. साइक्लोट्रॉन क्या है यह किस तथ्य पर आधारित है? साइक्लोट्रॉन एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से किसी धन आवेशित कण जैसे प्रोटॉन, ड्यूट्रॉन, अल्फा कण आदि को त्वरित किया जाता है। जब कोई धन आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है तो उस पर लगने वाला लॉरेंज बल सदैव निश्चित बिंदु की ओर लगता है और यह निश्चित बिंदु वृत्त का केंद्र होता है, जिस पर आवेशित कण गति करता है।

प्रकाशीय तंतु क्या है यह किस प्रकार कार्य करता है?

6. प्रकाशीय तंतु क्या है यह किस प्रकार कार्य करता है? यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रकाश को टेढ़े मेढ़े रास्ते से अत्यधिक दूरी तक पहुंचाया जा सकता है। कार्य विधि - चूंकि क्रोड का घनत्व वेल्डिंग के घनत्व से अधिक होता है अतः जब कोई प्रकाश किरण प्रकाशीय तंतु के किसी सिरे पर प्रवेश करती है तो उसका बार-बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है अतः उतनी ही तीव्रता का प्रकाश दूसरे सिरे से बाहर निकलता है।

प्रिज्म का न्यूनतम विचलन कोण किसे कहते हैं?

7. प्रिज्म का न्यूनतम विचलन कोण किसे कहते हैं? आपतीत किरण एवं निर्गत किरण के बीच बनने वाले कोण  को विचलन कोण कहते हैं और विचलन कोण के न्यूनतम मान को न्यूनतम विचलन कोण कहते हैं। 8. प्रकाश का व्यतिकरण किसे कहते हैं? जब लगभग सामान आयाम तथा सामान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगें एक ही दिशा में गमन करती है तो उनके अध्यारोपण के फल स्वरुप प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन किसे कहते हैं इसकी शर्ते लिखिए?

पूर्ण आंतरिक परावर्तन किसे कहते हैं इसकी शर्ते लिखिए? जब कोई प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण  से अधिक होने पर प्रकाश किरण पुनः उसी माध्यम में लौट जाती है। इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं। पूर्ण आंतरिक परावर्तन की शर्तें निम्नलिखित है - (i) प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना चाहिए। (ii) आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से बड़ा होना चाहिए।

समविभव पृष्ठ की विशेषताएं लिखिए?

 2. समविभव पृष्ठ की विशेषताएं लिखिए? (i) समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान होता है। (ii) विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ के अभी लंबवत गुजरती है। (iii) किसी चालक का पृष्ठ हमेशा समविभव पृष्ठ होता है। (iv) दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं काटते हैं। (v) एकांक धन आवेश को समविभव पृष्ठ के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता है।  सघन माध्यम में स्थित किसी वस्तु को जब विरल माध्यम से देखा जाता है तो वह वस्तु कुछ ऊपर उठी हुई क्यों प्रतीत होती है? प्रकाश के अपवर्तन के कारण

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं?

 1.समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं? ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान हो समविभव पृष्ठ कहलाता है।  समविभव पृष्ठ की विशेषताएं लिखिए? (i) समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान होता है। (ii) विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ के अभी लंबवत गुजरती है। (iii) किसी चालक का पृष्ठ हमेशा समविभव पृष्ठ होता है। (iv) दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं काटते हैं। (v) एकांक धन आवेश को समविभव पृष्ठ के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता है।

विद्युत बल रेखाओं के गुण लिखिए

1.विद्युत बल रेखाओं के गुण लिखिए विद्युत बल रेखाओं के गुण निम्नलिखित हैं - 1. विद्युत बल रेखाएं सदैव धनावेश से प्रारंभ होकर ऋण आवेश पर समाप्त होती है। 2. इन बल रेखाओं के किसी भी बिंदु पर खींची गई रेखाएं विद्युत क्षेत्र की तीव्रता बताती है। 3. विद्युत बल रेखाएं एक दूसरे को कभी नहीं काटती है। 4. विद्युत बल रेखाएं एक काल्पनिक वक्र बनाती है।  2.  विद्युत क्षेत्र की परिभाषा एवं मात्रक लिखिए? विद्युत क्षेत्र में स्थित एकांक धन आवेश जितने बल का अनुभव करता है उसे विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।इसे E से प्रदर्शित करते हैं।  E = F/q जहां, E = विद्युत क्षेत्र की तीव्रता         F = बल          q = एकांक धन आवेश एस आई मात्रक - न्यूटन/कूलाम 3. विद्युत फ्लक्स किसे कहते हैं? वह बल रेखाएं जो किसी सतह के अभी लंबवत गुजरती है विद्युत फ्लक्स कहलाती है। इसे से  Φ प्रदर्शित करते हैं। विद्युत फ्लक्स = तीव्रता × क्षेत्रफल dΦ = E.dS

नाटक और एकांकी में क्या अंतर हैं ?

  नाटक  और एकांकी में अंतर  क्र.   नाटक एकांकी 1. नाटक में कई अंक होते है। एकांकी में एक अंक होता है।   2. नाटक में कथा के साथ-साथ सहायक गौण कथाएं भी होती है।     एकांकी में एक ही घटना होती है।   3. नाटक को पूर्ण होने में अधिक समय लगता हैं।  एकांकी को पूर्ण होने में कम समय लगता हैं।    4. नाटक के कथानक में विस्तार रहता हैं ।    एकांकी के कथानक में ही घनत्व रहता है।   नाटक :- " नाटक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें संपूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कोतुहल पूर्ण वर्णन होता है। "  यह एक दृश्य काव्य है इसका आनंद देख कर लिया जाता है हिंदी नाटकों का प्रारंभ प्रमुख रूप से भारतेंदु हरिश्चंद्र से माना जाता है।  नाटकों का सम्राट जयशंकर प्रसाद को कहा जाता है हिंदी नाटक साहित्य का विभाजन किस प्रकार है  भारतेंदु काल  संधि काल  प्रसाद युग   वर्तमान युग । 

ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि कौन है ?

ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि कौन है ? उत्तर - कबीरदास