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मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion)

  न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion):-  हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए बल लगाना पड़ता है उदाहरण के लिए साइकिल चलाने वाले व्यक्ति को साइकिल के पैडल पर बल लगाना पड़ता है नाव में पानी को पीछे धकेल कर बल लगाया जाता है यदि हम पैडल चलाना बंद कर दे तो साइकिल रुक जाती है नाव में पतवार चलाना बंद कर दे तो नाव रुक जाती है। न्यूटन के गति का प्रथम नियम(Newton's First Law of Motion) यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी और यदि गति अवस्था में है तो वह उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए। न्यूटन का प्रथम नियम जड़त्व की परिभाषा बताता है कोई भी वस्तु उसकी अवस्था को स्वयं नहीं बदल सकती है बल वह बाह्य कारक है जो वस्तु की स्थिर अवस्था तथा गति अवस्था को बदलने के लिए उत्तरदायी है  बल के प्रभाव 1.स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न करना। 2.गतिमान वस्तु को रोक देना। 3.वस्तु का आकार तथा आकृति बदल देना। बल एक भौतिक राशि है जिसका मापन किया जा सकता है इसका एस आई मात्रक न्यूटन है एक सदिश रा...

न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion)

  न्यूटन के गति का प्रथम नियम (Newton's First Law of Motion):-  हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु में गति उत्पन्न करने के लिए बल लगाना पड़ता है उदाहरण के लिए साइकिल चलाने वाले व्यक्ति को साइकिल के पैडल पर बल लगाना पड़ता है नाव में पानी को पीछे धकेल कर बल लगाया जाता है यदि हम पैडल चलाना बंद कर दे तो साइकिल रुक जाती है नाव में पतवार चलाना बंद कर दे तो नाव रुक जाती है। न्यूटन के गति का प्रथम नियम(Newton's First Law of Motion) यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी और यदि गति अवस्था में है तो वह उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए। न्यूटन का प्रथम नियम जड़त्व की परिभाषा बताता है कोई भी वस्तु उसकी अवस्था को स्वयं नहीं बदल सकती है बल वह बाह्य कारक है जो वस्तु की स्थिर अवस्था तथा गति अवस्था को बदलने के लिए उत्तरदायी है  बल के प्रभाव 1.स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न करना। 2.गतिमान वस्तु को रोक देना। 3.वस्तु का आकार तथा आकृति बदल देना। बल एक भौतिक राशि है जिसका मापन किया जा सकता है इसका एस आई मात्रक न्यूटन है एक सदिश रा...

अध्याय-1 जीवो में जनन (Reproduction in Organism)

अध्याय-1 जीवो में जनन (Reproduction in Organism) 1. जीवो में जनन क्यों आवश्यक है? उत्तर: जनन जीवों का महत्वपूर्ण गुण धर्म है जिससे जीवों की उत्तरजीविता एवं निरंतरता बनी रहती है जनन के माध्यम से जीवों में विभिन्नताऐं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। जनन जैव विकास में भी सहायक होता है अतः हम कह सकते हैं की जीवो में जनन कितना महत्वपूर्ण है। 2. जनन की अच्छी विधि कौन सी है और क्यों? उत्तर: लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) को जनन की सर्वश्रेष्ठ विधि माना जाता है। लैंगिक जनन के दौरान जीव धारियों में गुणसूत्रों की अदला बदली होती है, जिससे युग्मको (Gemetes) में नए लक्षण विकसित होते हैं जिससे एक नए जीव का विकास होता है। लैंगिक जनन से उत्पन जीवों के जीवित रहने के अवसर अधिक होते हैं क्योंकि अनुवांशिक विभिन्नताओं के कारण जीव अधिक क्षमतावान होते हैं। इसलिए लैंगिक जनन को जन्म की सर्वश्रेष्ठ विधि माना गया है। 3. अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई संतति क्लोन क्यों कहा जाता है? उत्तर: अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति आकारिकी व अनुवांशिक रूप से अपने जनक के समान होती है इसलिए उन्हें क्लोन कहा...

बीजांड (Ovule) की संरचना को समझाइए | बीजांड | bijand ki saranchana

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 बीजांड (Ovule) की संरचना को समझाइए | बीजांड | bijand ki saranchana बीजांड की संरचना (Structure of Ovule):- बीजांड को गुरु बीजाणु धानी भी कहा जाता है, बीजांड अंडाशय की दीवार से एक डंठल द्वारा जुड़ा रहता है, जिसे बीजांड व्रंत कहते हैं बीजांड   व्रंत जिस स्थान से जुड़ा रहता है वह स्थान नाभिका(Hilum) कहलाता है। इसके अंदर गुरु बीजाणु या मादा युग्मक का निर्माण होता है बीजांड का मुख्य भाग बीजांडकाय(न्यूसेलस) कहलाता है। यह भाग पतली भित्ति वाली कोशिकाओं से बना होता है बीजांड एक द्विस्तरीय अध्यावरण (Integuments) से ढका रहता है कुछ बिजांडो में यह आध्यावरण एक स्तरीय होता है। अध्यावरण बीजांडकाय को पूर्णतः नहीं ढकते हैं, यह कुछ भाग को खुला ही छोड़ देते हैं खुले हुए भाग को बीजांडद्वार कहते हैं। बीजांडकाय का अधारिय भाग निभाग (Chalaza) कहलाता है। बीजांड द्वार की और मादा युग्मक(Female Gametophyte) के रूप में भ्रूणकोष(Embriyo sac) पाया जाता है। sturcture of ovule. भ्रूणपोष की अंड द्वार के छोर की और तीन केंद्रक मिलते है इनमें से एक अंडगोल व दो सहायक कोशिकाएं(सिनर्जिड्स) बनाती हैं। निभाग छो...

जड़त्व किसे कहते हैं | जड़त्व कितने प्रकार का होता है | jadatv kise kehte hai | jadatv kitane prakar ka hota hai

जड़त्व किसे कहते हैं | जड़त्व कितने प्रकार का होता है | jadatv kise kehte hai | jadatv kitane prakar ka hota hai जड़त्व- यदि कोई वस्तु गतिमान है तो वह गतिमान ही रहेगी तथा स्थिर है, तो स्थिर ही रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए वस्तु के इस गुण को जडत्व कहते है। उदाहरण के लिए लेकिन एक गोला फर्श पर लुढ़क रहा है तो वह तब तक लुढ़कता रहेगा जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल ना लगे (यदि बाह्य बल शून्य हो तो गोला अनावृत रुप से गतिमान रहेगा)। जड़त्व के प्रकार - जड़त्व दो प्रकार का होता है। 1. विराम अवस्था का जड़त्व 2. गतिम अवस्था का जड़त्व 1. विराम अवस्था का जड़त्व- यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी जब तक कि इस पर कोई बाह्य बल ना लगाया जाए विराम अवस्था का जड़त्व कहलाता है। उदाहरण  1. रेलगाड़ी या बस के अचानक चलने से उसमें बैठे यात्री को पीछे की ओर धक्का लगता है, क्योंकि जब रेल गाड़ी चलती है तब यात्री के पैर रेलगाड़ी के संपर्क में आते हैं जो कि गतिम अवस्था में होते हैं जबकि उसका शरीर विराम अवस्था में होता है। 2. कंबल को छड़ी से पीटने पर धूल के कण अलग हो...

मात्रक किसे कहते हैं | Matrak kise kahate Hain | मात्रक की विशेषताएं | Mul matrak tatha Vyutpann matrak

मात्रक किसे कहते हैं | Matrak kise kahate Hain | मात्रक की विशेषताएं | Mul matrak tatha Vyutpann matrak मात्रक(Measurement) - किसी भौतिक राशि की किसी अन्य मानक राशि से तुलना करना मापन कहलाता है और मानक राशि को ही मात्रक कहते हैं। मात्रक की विशेषताएं (Properties of Units)-  मात्रक की विशेषताएं निम्नलिखित है- 1. मात्रक उचित आकार का होना चाहिए। 2. मात्रक को पुनः उत्पादित किया जाना चाहिए। 3. मात्रक के परिमाण पर समय तथा  स्थान का कोई प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिए। 4. मात्रक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वमान्य होना चाहिए। 5. मात्रक का परिमाण ताप व दाब से प्रभावित नहीं होना चाहिए। मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न मात्रक(Fundamental and Derived Units)-  मूल राशियों के मात्रक को मूल मात्रक तथा व्युत्पन्न राशियों के मात्रक को व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं। 1.मूल मात्रक (Fundamental units)- ऐसे मात्रक जो एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं मूल मात्रक कहलाते हैं। लंबाई, द्रव्यमान तथा समय मूल मात्रक के उदाहरण है। 2. व्युत्पन्न मात्रक (Derived quantities)-  मात्रक ऐसे मात्रक जो ...

मूल राशियां एवं व्युत्पन्न राशियां किसे कहते हैं | Mul Rasiya AVN Vyutpann rashiya kise kahate Hain

मूल राशियां एवं व्युत्पन्न राशियां किसे कहते हैं | Mul Rasiya AVN Vyutpann rashiya kise kahate Hain मूल राशियां एवं व्युत्पन्न राशियां (fundamental and derived quantities)- कुछ ऐसी भौतिक राशियां होती है जो एक दूसरे से स्वतंत्र होती है जिन्हें आपस में नहीं बदला जा सकता है परंतु इन राशियों की मदद से अन्य भौतिक राशियों को व्यक्त किया जा सकता है। भौतिक राशियों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1. मूल राशियां(Fundqmental quantities) 2. व्युत्पन्न राशियां (Derived quantities) 1. मूल राशियां(Fundqmental quantities)- ऐसी भौतिक राशियां जो आपस में एक दूसरे से स्वतंत्र होती है मूल राशियां कहलाती है। कुल मूल राशियां सात है -  लंबाई, द्रव्यमान, समय, ताप, ज्योति तीव्रता, विद्युत धारा, तथा पदार्थ की मात्रा 2. व्युत्पन्न राशियां (Derived quantities) - ऐसी भौतिक राशियां जो मूल राशियों के रूप में व्यक्त की जाती है व्युत्पन्न राशियां कहलाती है।  उदाहरण के लिए  क्षेत्रफल = लंबाई*चौड़ाई  आयतन = लंबाई*ऊंचाई*चौड़ाई  घनत्व = द्रव्यमान/आयतन  चाल = दूरी/समय

त्वरण किसे कहते हैं | tvaran kise kahte hain

त्वरण(Acceleration)- किसी गतिमान वस्तु द्वारा वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं।  त्वरण= वेग में परिवर्तन की दर /समयांतर मात्रक = मीटर प्रति सेकंड स्क्वायर  किसी गतिमान वस्तु के ऋणात्मक त्वरण को मंदन कहते हैं।

वेग किसे कहते हैं | Veg kise kehte hain | Velocity | Velocity kya hain

वेग (Velocity) - किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को उस वस्तु का वेग कहते हैं। अर्थात दूरी या विस्थापन में समय के साथ परिवर्तन की दर को वेग कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि दो कारें एक समान चाल से अलग-अलग दिशाओं में चले तो उनका वेग एक समान नहीं होगा। यदि एक कार व्रतीय मार्ग पर चले तो वह कार समान समय में समान दूरी तय करें तो उसकी चाल समान होगी परंतु दिशा बदलने से वेग भी बदलेगा। वेग का मात्रक मीटर प्रति सेकंड है। वेग = विस्थापन या दूरी/समय  किसी वस्तु का वेग निम्न प्रकार का हो सकता है- 1. एक समान वेग(Unidorm Velocity)- यदि कोई गतिमान वस्तु एक ही दिशा में समान समय में समान दूरी तय करें तो इसको उस वस्तु का एक समान वेग कहते हैं। 2. औसत वेग(Average Velocity)-   किसी गतिमान वस्तु द्वारा अलग-अलग समयांतर में अलग-अलग विस्थापन या दूरी तय की जाती है तो उसको उस वस्तु का औसत वेग कहते हैं।  औसत वेग = कुल विस्थापन/समयांतर 3. तात्कालिक वेग(Instantaneous Velocity)- किसी गतिमान वस्तु का किसी क्षण का वेग तात्कालिक वेग कहलाता है। चाल तथा वेग में अंतर  1.किसी गतिमान वस्तु...

भौतिक राशियां किसे कहते हैं | bhotik rashiyan kise kehte hain | सदिश राशियां किसे कहते हैं | अदिश राशियां किसे कहते हैं | adhish rashiyan kise kehte hain | sadish rashiyan kise kehte hain

भौतिक राशियां भौतिक राशियां - ऐसी राशियां जिनका प्रयोग मापन में किया जाता है भौतिक राशियां कहलाती है सामान्यतया भौतिक राशियां दो प्रकार की होती है। 1. अदिश राशियां  2. सदिश राशियां 1. अदिश राशियां(Scalar Quantities) - अदिश का अर्थ होता है दिशाहीन, अतः ऐसी भौतिक राशियां जिन्हें व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है अदिश राशियां कहलाती है। उदाहरण के लिए यदि हम कहे कि सेब का द्रव्यमान 200 ग्राम है तो हमारा अर्थ पूरा है। इसमें दिशा आवश्यक नहीं है। उदाहरण - द्रव्यमान, घनत्व, लंबाई, समय, आयतन, चाल, ताप, विभव, कार्य, ऊष्मा की मात्रा, दाब, विशिष्ट ऊष्मा, कोण, आवृत्ति, विद्युत धारा, आवेश, शक्ति आदि अदिश राशियां है। 2. सदिश राशियां(Vector Quantities) - ऐसी भौतिक राशियां जिन्हें व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ-साथ दिशा भी आवश्यक हो सदिश राशियां कहलाती है। उदाहरण के लिए यदि हम किसी व्यक्ति से कहे की वस्तु को किसी बिंदु से 20 मीटर विस्थापित कर दें तो व्यक्ति हमसे पूछेगा- किस दिशा में? सामान्यतः 20 मीटर से हमारा अर्थ पूरा नहीं होता है अर्थ पूरा करने के लिए हमें दिशा बताना भी आवश...

चाल किसे कहते हैं | chal kise kahte hain | चाल का मात्रक | चाल किस प्रकार की राशि है।

चाल किसे कहते हैं | chal kise kahte hain | चाल का मात्रक | चाल किस प्रकार की राशि है। चाल (Speed) - किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक (1सेकेंड) समय में तय की गई दूरी को उस वस्तु की चाल कहते हैं। अर्थात् चाल (Speed) = दूरी (Distance)/एकांक समय (Time) इसका मात्रक मीटर/सेकंड है। चाल अदिश राशि है।  किसी वस्तु की चाल निम्न प्रकार की हो सकती है - एकसमान चाल - जब किसी गतिमान वस्तु द्वारा समान समय में समान दूरी तय की जाती है तो उस वस्तु की चाल को एक समान चाल कहते हैं। असमान चाल - जब किसी गतिमान वस्तु द्वारा समान समय में अलग-अलग दूरी तय की जाती है तो उस वस्तु की चाल को असमान चाल कहते हैं। औसत चाल - किसी गतिमान वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी तथा कुल समय के अनुपात को औसत चाल कहते हैं। अर्थात औसत चाल = वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी (S)/दूरी तय करने में लगा कुल समय (t) तात्कालिक चाल - किसी क्षण पर वस्तु की चाल को उसकी तात्कालिक चाल कहते हैं।

दूरी किसे कहते हैं? | Duri kaise kahte hai | matrak | मात्रक|

 दूरी किसे कहते हैं? | Duri kaise kahte hai | matrak | मात्रक|  दूरी(Distance) -  किसी गतिमान वस्तु द्वारा किसी समय में तय किए गए रास्ते की लंबाई को उस वस्तु द्वारा चली गई दूरी कहते हैं। दूरी एक अदिश राशि है जिसका दिशा से कोई संबंध नहीं होता है। इसका मात्रक मीटर है। इसे S से प्रदर्शित करते हैं। दूरी(Distance) = चाल(Speed)* समय(Time) दूरी एवं विस्थापन में अंतर 1.किसी वस्तु द्वारा किसी समय में तय किए गए रास्ते की लंबाई को दूरी कहते हैं जबकि किसी समय में किसी वस्तु द्वारा एक निश्चित दिशा में तय की गई दूरी को विस्थापन कहते हैं। 2. दूरी एक अदिश राशि है जबकि विस्थापन एक सदिश राशि है। 3. दूरी वस्तु द्वारा तय किए गए रास्ते की लंबाई पर निर्भर करती है जबकि विस्थापन वस्तु द्वारा तय किए गए रास्ते पर निर्भर नहीं करती। 4. दूरी का मान हमेशा धनात्मक होता है जबकि विस्थापन धनात्मक ऋणात्मक अथवा शून्य हो सकता है। दोस्तों आपको हमारी आज की पोस्ट अगर पसंद आई तो एक कमेंट जरूर कीजिएगा धन्यवाद।

जीवन क्या है?(What is life)

जीवन जीवन क्या है? जीवन- जीवन का मतलब साधारण शब्दों में जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर जीवन कहलाता है जो कि ईश्वर द्वारा हमें प्रदान किया गया एक वरदान है जो नर एवं मादा के संभोग से निर्मित होता है जो कि प्रकृति के नियम के फलस्वरुप संचालित होता है इसमें जीव एक निश्चित रंग रूप एवं आकार का होता है। जीवों में वृद्धि गतिशीलता जैसे महत्वपूर्ण जैविक गुणधर्म पाए जाते हैं। जीवन को हम जनन से संबंधित कर सकते हैं जनन जीवों का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। जिसके द्वारा जीवों की उत्तर जीविका में मदद मिलती है एवं साथ ही साथ जीव जगत की निरंतरता भी बनी रहती है। जनन जीवों की पीढ़ियों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है प्राकृतिक मृत्यु, वयता में जनन के कारण होने वाली जीव ह्वास की आपूर्ति जनन द्वारा ही होती है जन्म के फल स्वरुप जीव धारियों की संख्या में वृद्धि होती है जनन के माध्यम से कई सारी विभिन्नता उत्पन्न होती है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है अतः हम कह सकते हैं कि जनन जीवों का एक महत्वपूर्ण गुण धर्म है।

एकविमीय, द्विवीमीय एवं त्रिविमीय गतियाँ

एक विमीय गति - "वह गति जिसमें कोई वस्तु सरल रेखा में गति करती है एक विमीय गति कहलाती है।" इसे ऋजुरेखीय गति भी कहते हैं।  उदाहरण सीधी रेल की पटरी पर रेलगाड़ी का चलना, ऊपर से पत्थर का गिरना, सीधी सड़क पर वाहनों का चलना आदि एक विमीय गति के उदाहरण है। इस प्रकार की गति में आसपास की गतियों को नगण्य माना जाता है एक विमीय गति को X- अक्ष के समांतर प्रदर्शित किया जाता है। द्विविमीय गति- "वह गति जिसमें वस्तु एक समतल में गति करती है द्विविमिय गति कहलाती है।"  उदाहरण किसी सड़क पर कार का टेढ़ा मेढ़ा होकर चलना, किसी छत से क्षैतिज दिशा में फेंकी गई गेंद की गति, सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति आदि द्विविमीय गति के उदाहरण है। द्विविमीय गति को X-Y निर्देशक तल में प्रदर्शित करते हैं। त्रिविमीय गति- " वह गति जिसमें वस्तु आकाश में गति करती है त्रिविमीय गति कहलाती है।  उदाहरण हवा में पतंग की गति, घूमती हुई गेंद की गति, पक्षी की गति, हवाई जहाज और गैस के अणुओं की गति त्रिविमीय गति के उदाहरण है इसको X-Y-Z निर्देशांक तल में प्रदर्शित करते हैं। एक समान गति - जब कोई वस्तु सामान समय में...

विरामावस्था, गत्यावस्था क्या है ?

विरामावस्था -  "जब कोई वस्तु अपने आस-पास की और सभी वस्तुओं के सापेक्ष स्थिर (stationary) रहती है, अर्थात् वस्तु, समय के साथ अपनी स्थिति को नहीं बदलती है, स्थिरावस्था (अथवा विरामावस्था) में कहलाती है। उदाहरण के लिए, प्लेटफार्म पर बैठे यात्री के सापेक्ष स्टेशन पर खड़ी रेलगाड़ी विरामावस्था में होगी। गत्यावस्था - "जब कोई वस्तु, समय के साथ अपनी स्थिति को बदलती है तो वह गति अवस्था में कहलाती है।"  उदाहरण के लिए, प्लेटफार्म पर बैठे यात्री के सापेक्ष स्टेशन से गुजरती रेलगाड़ी गति अवस्था में कहलायेगी । यदि दो रेलगाड़ियां एक समान चाल से एक ही दिशा में चल रही है तो एक रेलगाड़ी में बैठा यात्री यह कहेगा कि दूसरी रेलगाड़ी स्थिर अवस्था में है क्योंकि वे दोनों ही पृथ्वी के सापेक्ष गतिमान अवस्था में है लेकिन एक दूसरे के साथ एक विरामावस्था में है अतः उनमें परस्पर कोई गति नहीं है। इस प्रकार हम किसी वस्तु की गतिम अवस्था तथा विराम अवस्था की परिभाषा केवल दूसरी वस्तु के सापेक्ष ही दे सकते हैं। वह दूसरी वस्तु जिसे हम पूर्णतया स्थिर मान लेते हैं। अतः हम जो भी अध्ययन करते हैं वह पृथ्वी को स्थिर ...

प्राचीन भारतीय भौतिकी (Ancient Indian Physics)

प्राचीन भारतीय भौतिकी (Ancient Indian Physics) प्राचीन भारतीय भौतिकी का इतिहास बहुत ही रोचक में है जो आज भी आधुनिक आविष्कारों से मेल खाता है। प्राचीन भारत में भौतिकी को धर्म से जोड़कर देखा जाता था। प्रारम्भ में भारतीय दर्शन शास्त्रीयों का मत था कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति चार तत्वों से हुई है।  ये चार तत्व हैं : भू (या पृथ्वी), सागर ( या पानी), वायु (या समीर) तथा अग्नि । जैन मतानुसार इसमें एक और तत्व आकाश (या ईथर) जोड़ा गया। इस प्रकार ये पाँच तत्व भू, सागर, वायु, अग्नि तथा आकाश ही ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम माने गये। इनमें भू को सूँघनें (smell) का, सागर को स्वाद ( taste) का, वायु को स्पर्श (feel) का, अग्नि को दृष्टि (vision) का तथा आकाश को ध्वनि (sound) का माध्यम माना गया।  बौद्ध धर्मियों तथा आजीविकाओं (Ajivikas) ने आकाश को तत्व न मानकर, चेतना (life), सुख (joy) तथा दु:ख (sorrow) को तत्व माना तथा इस प्रकार कुल सात तत्व माने गये। प्रारम्भ में भारतीय वैज्ञानिकों का मत था कि ईथर को छोड़कर अन्य सभी तत्व परमाण्विक होते हैं। इस मत की सर्वप्रथम वकालत बुद्ध के अनुयायी पाकुधा कत्यायान (Pak...

ओम के नियम की परिभाषा

ओम  का  नियम ओम के नियम का प्रतिपादन - ओम के नियम का प्रतिपादन 1827 भौतिक विज्ञानी जॉर्ज साइमन ओम ने किया था यह नियम किसी परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा, विभवांतर तथा प्रतिरोध के बीच संबंध स्थापित करता है। ओम के नियम की परिभाषा - यदि किसी पदार्थ की भौतिक अवस्थाएं (जैसे ताप, दाब आदि) नियत रहे तो प्रतिरोधक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवांतर उसमें प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।" अर्थात् V ∝ I या V = RI या R= I/V जहां,  V = विभवांतर, इसकी इकाई वोल्ट है। I = धारा, इसकी इकाई एंपियर है। R = प्रतिरोध, की इकाई ओम है। ओम के नियम की सीमाएं (Limitations Ohm’s Law In Hindi)- जब कोई चालक युक्ति ओम के नियम का परीपालन करती है तब उसका प्रतिरोध R आरोपित विभवान्तर पर निर्भर नहीं करता है जिससे V व I के मध्य आलेख एक सरल रेखा होती है जो मुख्य बिन्दु से गुजरती है। जो पदार्थ ओम के नियम का पालन करते हैं, उन्हें ओमीय चालक कहते हैं। चाँदी, ताँबा, पारा, नाइक्रोम, सल्फर, माइका, घुलनशील इलेक्ट्रोड वाले विद्युत अपघट्य आदि ओमीय चालक है। ओम का नियम सभी चालकों पर लागू नहीं होता जैसे निर्वात नलिका, अर...

हेनरी का नियम क्या है गैसों की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए?

हेनरी का नियम हेनरी का नियम क्या है गैसों की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए? हेनरी का नियम -  स्थिर ताप पर किसी गैस की द्रव में विलेयता गैस के दाब के समानुपाती होती है। m ∝ p m = khp जहां kh =  हेनरी नियतांक गैसों की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक- (i) गैसों तथा द्रव की प्रकृति - शीघ्रता से द्रवित होने वाली गैसों की विलेयता द्रव में अधिक होती है तथा कठिनता से द्रवित होने वाली गैसों की विलेयता द्रव में कम होती है। (ii) ताप का प्रभाव (Tempreture) - ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रव में विलयता घटती है तथा ताप घटाने पर गैसों की द्रव विलेयता बढ़ती है। (iii) दाब का प्रभाव (Presure) - अधिक दाब पर गैसों की द्रव में विलेयता अधिक तथा कम दाब पर जैसों की द्रव में विलेयता कम होती है। (iv) अशुद्धियों का प्रभाव (Impurity) - अशुद्धियों के कारण गैसों की द्रव में विलेयता कम होती है। हेनरी के नियम की सीमाएं (The limitation of Henry's law) -   1. यह नियम तनु विलियनो पर लागू होता है। 2. यह नियम निम्न दाब तथा उच्च ताप वाली गैसों पर लागू होता है अर्थात यह नियम आदर्...

टिंडल प्रभाव, पेप्टिकरण, अपोहन, स्कंदन से आप क्या समझते हैं?

 टिंडल प्रभाव टिंडल प्रभाव से आप क्या समझते हैं? टिंडल प्रभाव - जब किसी प्रकाश किरण को कोलाइडी विलियन में से गुजारा जाता है तो उसका प्रकीर्णन हो जाता है इस घटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं इसका अध्ययन सर्वप्रथम जे. टिंडल ने किया था इसलिए इसे टिंडल प्रभाव कहा जाता है। कारण - टिंडल प्रभाव का कारण प्रकाश का प्रकीर्णन है। उदाहरण - आकाश का निकला दिखाई देना, घर की छत से किसी क्षेत्र से आने वाले प्रकाश में धूल के गांव का चमकना आदि। पेप्टिकरण क्या है? यह कोलाइडी विलियन बनाने की विधि है किसी अवक्षेप को विद्युत अपघट्य द्वारा कोलाइडी विलयन में बदलना पेप्टिकरण कहलाता है  अपोहन क्या है? यह कोलाइडी विलियन को शुद्ध करने की विधि है किसी अशुद्ध कोलाइडी विलयन में से पारगम्य झिल्ली द्वारा विसरण की क्रिया से अशुद्धियों को पृथक करने की क्रिया अपोहन कहलाती है। स्कंदन किसे कहते हैं? जब किसी कोलाइडी विलियन में विद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो कोलाइडी कण उदासीन होकर अवशेपित हो जाते हैं यह क्रिया स्कंदन कहलाती है। उदाहरण जब आर्सिनियस सल्फाइड के कोलाइडी विलयन में बेरियम क्लोराइड विलयन की कुछ बूंदे डाली जात...